कविता मेरे लिए, मेरे आत्म का, शेष जीवन जगत के स‌ाथ चलनेवाला रचनात्मक स‌ंवाद है। कविता भले शब्दों में बनती हो लेकिन वह स‌ंवाद अंतत: अनुभूति के धरातल पर करती है। इसलिए प्रभाव के स्तर पर कविता चमत्कार की तरह लगती है। इसलिए वह जादू भी है। स‌ौंदर्यपरक, मानवीय, हृदयवान, विवेकशील अनुभूति का अपनत्व भरा जादू। कविता का स‌म्बन्ध मूल रूप स‌े हृदय स‌े जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं स‌मझना चाहिए कि उसका बुद्धि स‌े कोई विरोध होता है। बल्कि वहाँ तो बुद्धि और हृदय का स‌ंतुलित स‌मायोजन रहता है; और उस स‌मायोजन स‌े उत्पन्न विवेकवान मानवीय उर्जा के कलात्मक श्रम और श्रृजन की प्रक्रिया में जो फूल खिलते हैं, वह है कविता ... !

मंगलवार, 22 मार्च 2011

चिड़िया

                      


आ रे चिड़िया

गा रे चिड़िया

ले थोड़ा कुछ खा रे चिड़िया



क्यों इतनी लगती है दुबली ?

क्या बीमार पड़ी थी पगली ?

बहुत दिनों पर आयी है तू

ठहर जरा

मत जा रे चिड़िया



आ रे चिड़िया ...



जो देगी तू पंख स‌लोने

दे दूँगा मैं स‌भी खिलौने

वर्षा वन की

नील गगन की

कथा हमें बतला रे चिड़िया



आ रे चिड़िया

गा रे चिड़िया

ले थोड़ा कुछ खा रे चिड़िया

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