कविता मेरे लिए, मेरे आत्म का, शेष जीवन जगत के साथ चलनेवाला रचनात्मक संवाद है। कविता भले शब्दों में बनती हो लेकिन वह संवाद अंतत: अनुभूति के धरातल पर करती है। इसलिए प्रभाव के स्तर पर कविता चमत्कार की तरह लगती है। इसलिए वह जादू भी है। सौंदर्यपरक, मानवीय, हृदयवान, विवेकशील अनुभूति का अपनत्व भरा जादू। कविता का सम्बन्ध मूल रूप से हृदय से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि उसका बुद्धि से कोई विरोध होता है। बल्कि वहाँ तो बुद्धि और हृदय का संतुलित समायोजन रहता है; और उस समायोजन से उत्पन्न विवेकवान मानवीय उर्जा के कलात्मक श्रम और श्रृजन की प्रक्रिया में जो फूल खिलते हैं, वह है कविता ... !
नींद में बड़बड़ करते हैं
गाँव के बच्चे
सपना देख के डरते हैं
गाँव के बच्चे
मिट्टी में लेट-सेट
हँसते हैं खाली पेट
नंगे-नंगे फिरते हैं
गाँव के बच्चे
सदियों के भूत-प्रेत
बैठे हैं खेत-खेत
परछाई से लड़ते हैं
गाँव के बच्चे
लालटेन के इर्द-गिर्द
बैठे हैं चुपचुप
जाने क्या पढ़ते हैं
गाँव के बच्चे
आँखों में गड़ते हैं
गाँव के बच्चे।
अच्छी कविता भाई.... बधाई स्वीकार करें.... कृत्या और वागर्थ की कविताएं भी अच्छी थीं....
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