कविता मेरे लिए, मेरे आत्म का, शेष जीवन जगत के साथ चलनेवाला रचनात्मक संवाद है। कविता भले शब्दों में बनती हो लेकिन वह संवाद अंतत: अनुभूति के धरातल पर करती है। इसलिए प्रभाव के स्तर पर कविता चमत्कार की तरह लगती है। इसलिए वह जादू भी है। सौंदर्यपरक, मानवीय, हृदयवान, विवेकशील अनुभूति का अपनत्व भरा जादू। कविता का सम्बन्ध मूल रूप से हृदय से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि उसका बुद्धि से कोई विरोध होता है। बल्कि वहाँ तो बुद्धि और हृदय का संतुलित समायोजन रहता है; और उस समायोजन से उत्पन्न विवेकवान मानवीय उर्जा के कलात्मक श्रम और श्रृजन की प्रक्रिया में जो फूल खिलते हैं, वह है कविता ... !
आसमान गहरे नीले रंग का है
पंख फैलाए उड़ रहे हैं पंछी
चमक रहा है सूरज
जिसका लाल रंग अभी सूखा नहीं है
एक बहुत ऊँचा हरा-भरा पहाड़
एक पारदर्शी नदी
जिसमें भरा है लबालब पानी
गाँधी जी की उजली धोती की तरह
झक उजला दिन
एक छोटा सा घर
जिसमें भरा जाना है रंग
बच्चा बना रहा है चित्र
और ...
और बदल रही है दुनिया
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