कविता मेरे लिए, मेरे आत्म का, शेष जीवन जगत के स‌ाथ चलनेवाला रचनात्मक स‌ंवाद है। कविता भले शब्दों में बनती हो लेकिन वह स‌ंवाद अंतत: अनुभूति के धरातल पर करती है। इसलिए प्रभाव के स्तर पर कविता चमत्कार की तरह लगती है। इसलिए वह जादू भी है। स‌ौंदर्यपरक, मानवीय, हृदयवान, विवेकशील अनुभूति का अपनत्व भरा जादू। कविता का स‌म्बन्ध मूल रूप स‌े हृदय स‌े जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं स‌मझना चाहिए कि उसका बुद्धि स‌े कोई विरोध होता है। बल्कि वहाँ तो बुद्धि और हृदय का स‌ंतुलित स‌मायोजन रहता है; और उस स‌मायोजन स‌े उत्पन्न विवेकवान मानवीय उर्जा के कलात्मक श्रम और श्रृजन की प्रक्रिया में जो फूल खिलते हैं, वह है कविता ... !

बुधवार, 22 सितंबर 2010

मंडीनामा



( एक )

मरते दिल का हाल बेचो
बिकता है अकाल बेचो
भूत-प्रेत-बेताल बेचो
पश्चिम का जंजाल बेचो
अपने हर सवाल बेचो
सबकुछ है अब माल बेचो

अपनी रोटी-दाल बेचो
बेचो अपनी खाल बेचो

कच्चे-पक्के बाल बेचो
फूले-पिचके गाल बेचो
जो चाहोगे बिक जायेगा
दिन,महीने, साल बेचो

मोजे और रुमाल बेचो
मिक्सी के सुर- ताल बेचो
सेक्सी-सेक्सी चाल बेचो
होगे मालामाल बेचो


( दो )

आओ अपना गला बेच लो
यह भी है एक कला बेच लो
कान बेच लो सस्ते-सस्ते
नाक बेच लो रस्ते-रस्ते
भाव जीभ का बढ़ा हुआ है
अभी बेच लो हंसते-हंसते

करम बेच दो,भरम बेच दो
नरम बेच दो,गरम बेच दो
अपनी सारी शरम बेच दो
बेच सको तो धरम बेच दो

आंत बिक रही,दांत बिक रहे
मंडी में दिन-रात बिक रहे
हाथ-हाथ सब हाथ बिक रहे
रुपये में छह-सात बिक रहे

चट-पट जाओ वोट बेच लो
दादाजी का कोट बेच लो
आदर्शो की गठरी के भी
मिल जायेंगे नोट बेच लो

नोट मिले तो गोली बेचो
नोट मिले तो चोली बेचो
उलटी-सीधी बोली बेचो
बचपन के हमजोली बेचो

लाओ अपनी मूँछ बेच दो
और अगर है पूँछ बेच दो
दाढ़ी है तो दाढ़ी बेचो
अपनी यह बेकारी बेचो
इस मंडी में क्या नहीं बिकता
अपनी स‌ब लाचारी बेचो

अच्छे हो, अच्छाई बेचो
स‌च्चे हो, स‌च्चाई बेचो
लुच्चे हो, तो और भी अच्छा
बेचो लुंगी गंजी कच्छा...


( तीन )

कहीं की मिट्टी
कहीं का पानी
लिखो वही जो बिके कहानी
कविता को कूड़े में डालो
बेचो बचपन और जवानी

अंतर - मंतर जादू - टोना
बरसे रुपया, चाँदी सोना
बरतन - बासन, खाट - बिछौना
बेचो घर का ओना - कोना
बेचो गाँधी चर्खा खद्दर
बेचो चूहे साँप छछुँदर ....

जो है खेती - पत्ती बेचो
देश का रत्ती-रत्ती बेचो

सूरज बेचो
चंदा बेचो
मधु बेचो
मधुछंदा बेचो
इसको बेचो, उसको बेचो
जो मन आए उसको बेचो

आगे बेचो, पीछे बेचो
उपर बेचो, नीचे बेचो
दाँए बेचो, बाँए बेचो
भाई बहनें माएँ बेचो

अहरी बेचो, बहरी बेचो
औरत सुंदर सँवरी बेचो
कानी बेचो, कुबड़ी बेचो
अंधी, लूली , लंगड़ी बेचो
जहाँ कहीं जो ठहरी बेचो
झबरी झक चितकबरी बेचो

अगर बेच लो, मगर बेच लो
सेतमेत में स‌गर बेच लो
ताल तलैया नहर बेच लो
गली मुहल्ला शहर बेच लो
स‌ुबह शाम दोपहर बेच लो

बेचो दक्षिण, वाम बेचो
लीची कटहल आम बेचो
गुल गुलशन गुलफाम बेचो
इसको राधेश्याम बेचो
उसको सीताराम बेचो

बेमतलब का हल्ला - गुल्ला
मूल्य-वूल्य से झारो पल्ला
बेचो कि बिकती है लल्ली
बेचो कि बिकता है लल्ला
मंदिर मसजिद ईश्वर अल्ला
बेचो स‌ब कुछ खुल्लम खुल्ला !



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