कविता मेरे लिए, मेरे आत्म का, शेष जीवन जगत के साथ चलनेवाला रचनात्मक संवाद है। कविता भले शब्दों में बनती हो लेकिन वह संवाद अंतत: अनुभूति के धरातल पर करती है। इसलिए प्रभाव के स्तर पर कविता चमत्कार की तरह लगती है। इसलिए वह जादू भी है। सौंदर्यपरक, मानवीय, हृदयवान, विवेकशील अनुभूति का अपनत्व भरा जादू। कविता का सम्बन्ध मूल रूप से हृदय से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि उसका बुद्धि से कोई विरोध होता है। बल्कि वहाँ तो बुद्धि और हृदय का संतुलित समायोजन रहता है; और उस समायोजन से उत्पन्न विवेकवान मानवीय उर्जा के कलात्मक श्रम और श्रृजन की प्रक्रिया में जो फूल खिलते हैं, वह है कविता ... !
कहीं न आते न जाते हुए बच्चे
घर भर में
शहर में
खौफ खाते हुए बच्चे
भूले-भूले से
सबकुछ भूल जाते हुए बच्चे
बहुत कठिन समय में
असमय स्कूल जाते हुए बच्चे
डाँटे जाते हुए बच्चे
चाँटे खाते हुए बच्चे
कहीं गीता
कहीं कुरान में
बाँटे जाते हुए बच्चे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें