कविता मेरे लिए, मेरे आत्म का, शेष जीवन जगत के स‌ाथ चलनेवाला रचनात्मक स‌ंवाद है। कविता भले शब्दों में बनती हो लेकिन वह स‌ंवाद अंतत: अनुभूति के धरातल पर करती है। इसलिए प्रभाव के स्तर पर कविता चमत्कार की तरह लगती है। इसलिए वह जादू भी है। स‌ौंदर्यपरक, मानवीय, हृदयवान, विवेकशील अनुभूति का अपनत्व भरा जादू। कविता का स‌म्बन्ध मूल रूप स‌े हृदय स‌े जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं स‌मझना चाहिए कि उसका बुद्धि स‌े कोई विरोध होता है। बल्कि वहाँ तो बुद्धि और हृदय का स‌ंतुलित स‌मायोजन रहता है; और उस स‌मायोजन स‌े उत्पन्न विवेकवान मानवीय उर्जा के कलात्मक श्रम और श्रृजन की प्रक्रिया में जो फूल खिलते हैं, वह है कविता ... !

गुरुवार, 7 जून 2012


            मेरी दूसरी पुस्तक                  
                                                                              
पुस्तक :  कक्षा में स‌ाहित्य            (आलोचनात्मक लेख)

लेखक  :  कुमार विश्वबंधु

प्रकाशक:  बरगद प्रकाशन, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल, भारत।

प्रथम स‌ंस्करण  :  2011
मूल्य  :  150/-

ISBN  :  978-93-5067-586-1



           ''  कक्षा में स‌ाहित्य ''


विषय स‌ूची :


1. मुक्तिबोध की कहानी जंक्शन:
    मध्यवर्गीय मन की अंतर्कथा
2. कभी अकेले में मुक्ति नहीं मिलती:
    अग्येय की कहानी रोज का पुनर्पाठ
3. प्रेमचंद की एक उपेक्षित कहानी   'ज्वालामुखी'
4. प्रेमचंद की विरासत और मुक्तिबोध
5. स‌ूरज का स‌ातवाँ घोड़ा:
    यथार्थ बनाम् प्रायोजित यथार्थ का द्वन्द्व

6. नौकर की कमीज:
   कमीज का यथार्थ बनाम् यथार्थ का रोमांस
7. हिन्दी कविता और काव्य आवृत्ति
8. नागार्जुन की कविता की बनावट
9. नामवर स‌िंह की आलोचना यात्रा
10. कक्षा में स‌ाहित्य


Contact : bargadprakashan @yahoo .com  
                OR
   kumarvishwabandhu @gmail .com




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