( एक )
भूख जरूरी है
खाना खाने के लिए
खाना जरूरी है
जिन्दा रहने के लिए
भले जिन्दा रहना जरूरी न हो
सब के लिए
पर जो जिन्दा हैं
उनके लिए
हर हल में खाना जरूरी है
चाहे रोटी खाएँ
चाहे पुलिस कि गोलियां !
भूख आती थी
वह उसे मार देता था
भूख जिन्दा हो जाती थी
वह फिर उसे मार देता था
भूख लौट-लौट कर आ जाती थी
वह उसे उलट-उलट कर मार देता था
एक दिन भूख दबे पांव आई
और..
उसे खा गई .
उसे खा गई .
जो भूखे थे
वे सोच रहे थे रोटी के बारे में
जिनके पेट भरे थे
वे भूख पर कर रहे थे बातचीत
गढ़ रहे थे सिद्धांत
ख़ोज रहे थे सूत्र ....
कुछ और लोग भी थे सभा में
जिन्हौंने खा लिया था आवश्यकता से अधिक खाना
और एक दूसरे से दबी जबान में
सीरियल किलर कि तरह
भूख
एक के बाद एक
कर रही है हत्याएं
और घूम रही है खुले आम यहां-वहां
देश भर में
सीरियल किलर कि तरह
जवाब देंहटाएंभूख
एक के बाद एक
कर रही है हत्याएं
और घूम रही है खुले आम यहां-वहां
देश भर में
लोकतंत्र के छुट्टे सांड की तरह .
Kya vidarak saty bayaan kiya hai!
Blog jagat me swagat hai!
dil ko chu lene wali rachna..... gr8 work
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली रचना|
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा आपने....मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंsparkindians.blogspot.com
Very realistic . excellent!
जवाब देंहटाएंदीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे -
जवाब देंहटाएंइसी शुभकामनओ के साथ हार्दिक बधाई।
इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंbahut hi acchoi rachna hai. dil ko chu gaya.
जवाब देंहटाएंkuch hi sabdo me bahut bate kahdi.
bahut hi kubsurat.
जवाब देंहटाएंये भूख बडी है
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