तुम्हारी याद लिए
खीझ सनी सुबह कोचाय के साथ जल्दी-जल्दी सुड़कतासोचता हूँ तुम्हारे साथ हुई कल की बातें ...दिन काफी चढ़ आया है !
रात भर दु:स्वप्न में उलझीअपनी अस्त-व्यस्त आँखों मेंमुश्किल से ढूढ़ पाता हूँतुम्हारा हँसता चेहरा ...नल में आज भी पानी नहीं है !
छत की मुंडेर परलगा है कौओं का जमघटकांव-काँव ... काँव-कांव ... काँ.....व..ढीठ-ढीठहिलती है काली पीठखुलती है काली चोंचबोलती है जाली सोचआज हड़ताल है !मतलब, तुमसे नहीं मिल सकता
टूथ-ब्रश बुरी तरह खिया गया हैबचा-खुचा टूथ-पेस्ट खुरचता सोचता हूँतुम्हें कल ' कुछ अच्छा सा ' भेंट करुँगाया कि एक कविता ही लिखूँगातुम्हारे लिए ...
नाश्ता कर लो !पुकारती है माँ
एकाएक मुस्कुरा पड़ता हूँदेखता हूँ लाल-लाल फूलों से लद गया है गुलमोहरकल तुमसे जब मिलूँगाढेर सारी बाते करूँगा तुम्हें खूब प्यार करूँगा ...क्या सोच रहे हो ?पूछते हैं पिताजी
इम्तिहान सिर पर हैकमरे में बिखरी हैं किताबेंसाहित्य...विज्ञान... राजनीति...जिंदगी की तरह कुछ भी अपनी जगह नहीं हैइधर की उधरउधर की इधर !वहीं बीच मेंतुम्हारा दिया स्वर्ण-चम्पा का एक ताजा फूल भी हैप्रेम..स्पर्श..सुगंध..सपने..नौकरी.. संघर्ष..बेकारी...मौत !सबकुछ कितना अजीब है !!
नहाते क्यों नहीं ?पूछते हैं पिताजी
खाते क्यों नहीं ?पूछते हैं पिताजी
पढ़ते क्यों नहीं ?पूछते हैं पिताजीउन्हें क्या मालूम कि आज हड़ताल है
मतलब, तुमसे नहीं मिल सकता
बहुत अच्छी प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
SVAAGAT! AAP BAHUT ACHCHHAA LIKHATE HAIN.
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